फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर भी लिया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार धराशायी हो गई है. उद्धव सरकार के इस्तीफा देने के साथ ही विपक्ष के हाथ से एक और राज्य खिसक गया है. इसके अलावा कांग्रेस एक और राज्य में सत्ता से बाहर हो गई है. अब महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनकर बैठेगी. इसके अलावा अब महाराष्ट्र की सत्ता पर बीजेपी एक बार फिर से काबिज हो जाएगी. बताया जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में 1 जुलाई को बीजेपी एकनाथ शिंदे गुट के साथ मिलकर सरकार बनाएगी. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं तो एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाने की बात चल रही है.
खबर में खास
- 2019 में भी देवेंद्र फडणवीस ने बनाई थी सरकार
- एनसीपी और कांग्रेस नहीं, शिवसेना में बगावत
- बगावत का पता चला तब तक विधायक उड़ चुके थे
- संजय राउत के बयानों ने आग में घी का काम किया
- सुप्रीम कोर्ट से एकनाथ शिंदे गुट को मिली राहत
- कांग्रेस की 2 राज्यों में अपनी सरकार, 2 में भागीदार
2019 में भी देवेंद्र फडणवीस ने बनाई थी सरकार
2019 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और बीजेपी शिवसेना गठबंधन सरकार बनाती दिख रही थीं, लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद मांगकर बीजेपी की जीत का मजा किरकिरा कर दिया था. काफी दिन तक चले कशमकश के बीच देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. हालांकि शरद पवार ने ऐन मौके पर मोर्चा संभाला और अजीत पवार के सामने ऐसी घेराबंदी की कि उन्हें लौटकर पवार गुट में लौटना पड़ा. उसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया था.
एनसीपी और कांग्रेस नहीं, शिवसेना में बगावत
फिर राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी थी. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने लेकिन सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय शरद पवार ने एनसीपी के पास रख ली. सरकार चलती रही और कभी एनसीपी, कभी कांग्रेस तो कभी शिवसेना में बगावत की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रहीं. एनसीपी और कांग्रेस में तो बगावत नहीं हुई लेकिन पहले राज्यसभा चुनाव और उसके बाद हुए विधान परिषद चुनाव में शिवसेना में ऐसी बगावत हुई कि अंत में उद्धव ठाकरे को हार मानकर इस्तीफा देना पड़ा.
बगावत का पता चला तब तक विधायक उड़ चुके थे
दरअसल, विधान परिषद के चुनाव वाली रात को जब काउंटिंग में पता चला कि बीजेपी ने अपने विधायकों से कहीं ज्यादा वोट पा लिए हैं तो शिवसेना के कान खड़े हुए. विधायकों को टटोलना शुरू किया गया. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक सूरत जा पहुंचे थे. सरकार पर आफत आई तो शिवसेना जैसी काडर वाली पार्टी को जैसे सांप सूंघ गया. उद्धव ठाकरे ने अपने विश्वस्त नेताओं को सूरत भेजा लेकिन बात नहीं बनी. उसके बाद बागी विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सूरत से असम के शहर गुवाहाटी पहुंच गए. वहां रेडिशन ब्लू में विधायकों के रहने और खाने पीने का इंतजाम किया गया.
संजय राउत के बयानों ने आग में घी का काम किया
तमाम बातें वहां से भी कही गईं और शिवसेना की ओर से मोर्चा संभालने वाले संजय राउत ने भी जहर उगलना शुरू किया. कभी बाप तो कभी गुवाहाटी से 40 शव आएंगे वाले बयान से संजय राउत ने आग में घी का काम किया. इस बीच शिवसेना के कुछ और मंत्री और विधायक भी गुवाहाटी की प्लेन में सवार हो गए. राष्ट्रपति चुनाव की मोर्चाबंदी में जुटे शरद पवार ने मोर्चा संभाला तब तक काफी देर हो चुकी थी. शिंदे गुट को सदस्यता रद करने का नोटिस दिया गया लेकिन शिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर पर ही अविश्वास जता दिया.
सुप्रीम कोर्ट से एकनाथ शिंदे गुट को मिली राहत
मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां से शिंदे गुट को राहत मिली और उद्धव ठाकरे को झटका लगा. उसके बाद राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया तो उद्धव ठाकरे की सरकार ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की रात को एक बार फिर उद्धव सरकार को झटका देते हुए फ्लोर टेस्ट का सामने करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही उद्धव ठाकरे लाइव हो गए और कुछ ही देर में इस्तीफे का ऐलान कर दिया.
कांग्रेस की 2 राज्यों में अपनी सरकार, 2 में भागीदार
इस तरह महाराष्ट्र में करीब तीन साल से चली आ रही महाविकास अघाड़ी सरकार का अंत हो गया. इसके साथ ही महाराष्ट्र की सत्ता में भागीदार रही कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य निकल गया. अब कांग्रेस के पास राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अपनी पार्टी की सरकार के अलावा तमिलनाडु और झारखंड में गठबंधन की सरकार है. यानी कांग्रेस के पास अब केवल 2+2 की राजनीति करने का मौका है.
