तू तड़पता बहुत है, क्या तुझे दर्द भी है? पूछता इसलिए हूं कि तेरी तड़प पे ऐतबार नहीं होता… देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस (Congress) पर ये शायरी एकदम सटीक बैठती है. राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ 400 नेता पार्टी को पटरी पर लाने का रोडमैप तैयार कर रहे हैं. कहने को तो यहां पार्टी के भविष्य पर चिंतन (Congress Chintan Shivir) हो रहा है, लेकिन सोनिया की असली चिंता तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के भविष्य को लेकर है.
इस खबर में ये है खास
- चिंतन शिविर से मिलेगी नई राह?
- कांग्रेसियों पर गांधी परिवार का कर्ज है?
- कांग्रेसी नहीं समझ रहे सोनिया की चिंता
- चिंतन की जगह परिवर्तन हो पाएगा?
- अंदरूनी खींचतान हो जाएगा खत्म
चिंतन शिविर से मिलेगी नई राह?
चिंतन के मामले में तो भारत हमेशा से ही काफी आगे रहा है. किसी राजा ने चिंतन किया तो बुद्ध बन गया. किसी फकीर ने चिंतन किया तो कबीर बन गया. अकेले चिंतन किया गया तो परमात्मा से मिलन हो गया, समूह में चिंतन हुआ तो आजादी को पा लिया. महापुरुषों ने भी कहा है कि जब भी मुश्किल में फंस जाओ, तो चिंतन करो रास्ता खुद-ब-खुद मिल जाएगा. अब देश की सबसे पुरानी पार्टी भी चिंतन कर रही है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 400 नेताओं को इस काम में लगा दिया है.
कांग्रेसियों पर गांधी परिवार का कर्ज है?
‘ओ मुन्ना भूल ना जाना, तुम दूध का कर्ज चुकाना…’, इस गाने में एक मां अपने बेटे के लिए ये गाना गा रही होती है. कुछ ऐसी ही हालत में आज सोनिया गांधी हैं. इस चिंतन शिविर में सोनिया गांधी अपनी चिंता का निवारण चाहती हैं. उनको चिंता सता रही है कि राहुल गांधी का भविष्य क्या होगा. इसीलिए वे कांग्रेसियों से बार-बार कर्ज चुकाने की बात कह रही हैं. चिंतन शिविर की शुरुआत में ही सोनिया ने कहा कि हमारे लंबे और सुनहरे इतिहास में आज एक ऐसा समय आया है जब हमें निजी आकांक्षाओं को संगठन के हितों के अधीन रखना होगा. पार्टी ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है अब समय है कर्ज उतारने का.
कांग्रेसी नहीं समझ रहे सोनिया की चिंता
कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता सोनिया गांधी की चिंता को समझने को तैयार नहीं है. पार्टी हित के लिए वे अब गांधी परिवार को नेतृत्व छोड़ने की सलाह देते रहते हैं. ऐसे नेताओं को पार्टी में G23 के नाम से जाना जाता है. हालांकि कांग्रेस में गांधी परिवार के खिलाफ बोलना गुनाह माना जाता है. इसलिए इन नेताओं को ही हैसियत दांव पर लग चुकी है. जिन नेताओं का ज्यादा अपमान हो जाता है, वो पार्टी से दूर हो जाते हैं. इस ग्रुप में शामिल कई नेता चिंतन शिविर में शामिल नहीं हुए हैं.
चिंतन की जगह परिवर्तन हो पाएगा?
कांग्रेस के तमाम नेताओं का मानना है कि पार्टी को अब चिंतन नहीं बल्कि परिवर्तन करना चाहिए. हालांकि इस मुद्दे पर पार्टी के तमाम वो नेता जो कई-कई पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़े हुए थे, अब पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. इस लिस्ट में ताजा नाम पंजाब के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ का जुड़ गया है. जाखड़ ने आज कांग्रेस को ‘Good Luck and Goodbye Congress’ कहकर पार्टी छोड़ दी. उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी के साथ 50 साल पुराना रिश्ता है. मुझे कांग्रेस की हालत पर तरस आ रहा है. ये चिंतन शिविर सिर्फ एक फॉर्मेलिटी है, उससे ज्यादा कुछ नहीं.
अंदरूनी खींचतान हो जाएगा खत्म
पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या उसकी आंतरिक कलह है. इसी कारण से उसके हाथ से पंजाब चला गया. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट में नहीं बनती. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच 36 का आंकड़ा है. गुजरात में हार्दिक पटेल नाराज चल रहे हैं. वे आलाकमान से इतना नाराज हैं कि चिंतन शिविर से भी दूरी बना ली. इतना ही नहीं उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस को हटा दिया. हिमाचल में नए नेतृत्व को कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
(नोट: ये लेखक के अपने विचार हैं.)
