नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा हुई. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने द्रौपती मुर्मू को बधाई दी. साथ ही मोदी ने उम्मीद जताई कि वह देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी. वहीं, पीएम ने ट्वीट कर कहा, लाखों लोग, जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है, वे द्रौपदी मुर्मू के जीवन से शक्ति प्राप्त करते हैं. नीतिगत मुद्दों पर उनकी समझ और उनकी दयालु प्रवृत्ति से देश को बहुत फायदा होगा. पीएम के इतने तारीफ के बाद तो एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है. चलिए जान लेते हैं बीजेपी की रणनीति और द्रौपदी मुर्मू कौन हैं.
खबर में खास
- कौन हैं द्रौपदी मुर्मू, जानिए
- नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित
- झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
- आदिवासियों को साधना मकसद!
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू, जानिए
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं. उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं.
साल 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं. मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं. द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.
नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी. ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया.
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में बीजेपी की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मुर्मू को शपथ दिलाई थी. द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया. पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है. द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वे बीजेपी के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा हैं.
आदिवासियों को साधना मकसद!
बताया जा रहा है कि इसी साल होने वाले गुजरात चुनाव और 2 साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी आदिवासियों को संदेश देना चाहती है. साथ ही खुद के लिए समर्थन जुटाने के फेर में है. गुजरात चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के आदिवासी इलाकों में जाकर बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश की है.
अगर बीजेपी किसी आदिवासी को सर्वोच्च पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाती है तो आदिवासी समुदाय में इसका बड़ा संदेश जा सकता है. आदिवासी होने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू के बहाने बीजेपी महिला को राष्ट्रपति बनाकर भी विपक्षी दलों पर बढ़त लेना चाहती है. हालांकि इससे पहले कांग्रेस 2007 में प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बना चुकी है.
