राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) जैसे जैसे करीब आ रहा है, एनडीए उम्मीदवार को लेकर अटकलों का बाजार गर्म होता जा रहा है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए पहले यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben PAtel) का नाम आगे चल रहा था. पिछले दिनों पीएम मोदी (PM Modi) और आनंदीबेन पटेल की मुलाकात भी हुई थी. उसके बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का नाम चला और अब अटकलें हैं कि देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का नाम सबसे आगे चल रहा है. बताया जा रहा है कि बीजेपी इस बार किसी आदिवासी को सर्वोच्च पद सौंपकर एक संदेश देना चाहती है. खास बात यह है कि द्रौपदी मुर्मू का नाम पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भी उम्मीदवार के लिए चल रहा था. कहा तो यह भी जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू को पार्टी आलाकमान ने संदेश दे दिया है और यह भी कहा गया है कि जब तक उम्मीदवारी घोषित नहीं होती, तब तक किसी तरह के विवाद में न आएं.
खबर में खास
- आदिवासियों को साधना हो सकता है मकसद
- कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
आदिवासियों को साधना हो सकता है मकसद
बताया जा रहा है कि इसी साल होने वाले गुजरात चुनाव और 2 साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी आदिवासियों को संदेश देना चाहती है और खुद के लिए समर्थन जुटाने के फेर में है. गुजरात चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के आदिवासी इलाकों में जाकर बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश की है. अगर बीजेपी किसी आदिवासी को सर्वोच्च पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाती है तो आदिवासी समुदाय में इसका बड़ा संदेश जा सकता है. आदिवासी होने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू के बहाने बीजेपी महिला को राष्ट्रपति बनाकर भी विपक्षी दलों पर बढ़त लेना चाहती है. हालांकि इससे पहले कांग्रेस 2007 में प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बना चुकी है.
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
- द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी.
- द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं.
- उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं.
- 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं.
- मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं.
- द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.
- द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी.
- ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया.
- द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
- वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मुर्मू को शपथ दिलाई थी.
- द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया. पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है.
- द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वे भाजपा के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा हैं.
