पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्यारों की रिहाई का मोदी सरकार ने विरोध किया है. इस मामले में केंद्र सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करते हुए अदालत से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है. याचिका में सरकार ने कहा कि इस मामले में उसे बहस का पर्याप्त समय नहीं मिला. सरकार ने इस फैसले को कानूनी रूप से भी दोषपूर्ण बताया है.
11 नवंबर को कोर्ट ने सुनाया था फैसला
बता दें कि 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या में दोषी नलिनी और पी रविचंद्रन समेत 6 की रिहाई का आदेश दिया था. इस मामले में रविचंद्रन और नलिनी दोनों ही 30 साल से ज्यादा वक्त से जेल में सजा भुगत चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. जिसके बाद बाकी के अन्य आरोपियों ने भी उसी को आधार बनाकर रिहाई की मांग की थी.
तमिलनाडु सरकार ने किया था समर्थन
तमिलनाडु सरकार ने भी राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की सजा माफ करने का समर्थन किया है. तमिलनाडु सरकार ने श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की सजा माफ करने के लिए 2018 में ही अपनी सलाह राज्यपाल को भेज दी थी. राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल से सजा माफी का प्रस्ताव रखा था. लेकिन राज्यपाल ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया था.
कांग्रेस ने किया था रिहाई का विरोध
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस पार्टी खुश नहीं है और उसने इस आदेश पर कड़ा ऐतराज जताया है. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है. हम इसकी कड़ी आलोचना करते हैं और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया.
