Gyanvapi case: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर अपनी राय रखते हुए हिंदुओं तथा मुसलमानों को आपसी मतभेद को भुलाकर अदालत द्वारा दिए जाने वाले फैसले को स्वीकार करने की अपील की है. मोहन भागवत ने कहा कि हम इतिहास को नहीं बदल सकते. ज्ञानवापी को न आज के हिंदुओं ने बनाया है न ही आज के मुसलमानों ने. यह इतिहास की घटना है. भागवत ने कहा कि इस्लाम भारत में हमलावरों के जरिए आया था. हिंदुओं के मनोबल को गिराने के लिए इस्लामिक शासकों द्वारा देवस्थानों को तोड़ा गया. भागवत ने कहा कि हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे.
खबर में खास
- मुसलमानों को बुरा नहीं मानना नहीं चाहिए
- कटियार ने भी अदालत से मांगा सहयोग
मुसलमानों को बुरा नहीं मानना नहीं चाहिए
भागवत ने कहा अगर हिंदु इतिहास में हुए धार्मिक अन्याय के लिए आवाज उठाते हुए तो मुसलमानों को इसके लिए बुरा नहीं मानना चाहिए. यह किसी के खिलाफ नहीं है. इन मुद्दों को आपसी सहमति से शायद नहीं सुलझाया जा सकता इसलिए लोग अदालत जाते हैं. अदालत जो फैसला देती है उस पर बिना सवाल उठाए उसका सभी को सम्मान करना चाहिए.
कटियार ने भी अदालत से मांगा सहयोग
विनय कटियार ने कहा कि जो शिवलिंग मिला है उसे फव्वारा बताया जा रहा है जो कि झूठ है. उनलोगों ने बलपूर्वक हम लोगों की मंदिरों को हमसे छीना. कटियार ने कहा कि जो चीज जैसे जाती है वह चीज वैसे ही आती है जैसे ताकत से वह चीज गई है वैसे ताकत से ही आएगी इसमें हिंदू समाज को ताकत लगानी पड़ेगी तभी यह मंदिर हिंदू समाज को मिलेगी. चुकी मंदिर के साक्ष्य मिले हैं इसलिए विनय कटियार ने मामले में अदालत का भी सहयोग मांगा है.
