देश में राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) की तैयारियां जोरों पर हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA की ओर से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने तो विपक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने नामांकन दाखिल किया है. इन दोनों के अलावा 54 अन्य उम्मीदवारों ने भी पर्चा भरा है. हालांकि उन सभी का पर्चा अमान्य घोषित हो सकता है, क्योंकि किसी के पास भी जरूरी प्रस्तावकों की संख्या नहीं थी. चुनाव में किसकी जीत होगी, ये तो भविष्य के गर्त में छिपा है. लेकिन आज हम आपको राष्ट्रपति को मिलने वाली सैलरी और सुख-सुविधाओं के बारे में बताने वाले हैं.
इस खबर में ये है खास
- सैलरी पर राष्ट्रपति कोविंद का बयान
- देश का प्रथम नागरिक होता है राष्ट्रपति
- कितनी होती है राष्ट्रपति की सैलरी?
- राष्ट्रपति की सैलरी में कितनी बार हुई बढ़ोत्तरी?

सैलरी पर राष्ट्रपति कोविंद का बयान
हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जो बयान दिया था, पूरे देश में उसकी खूब चर्चा हुई थी. दरअसल राष्ट्रपति कोविंद ने एक सभा में कहा था कि ‘उन्हें जितनी सैलरी मिलती है, उसका आधे से ज्यादा हिस्सा टैक्स में चला जाता है. इससे ज्यादा बचत तो एक टीचर की होती है’.

देश का प्रथम नागरिक होता है राष्ट्रपति
राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक कहा जाता है. देश में नागरिकता के क्रम में एक आम आदमी को 27वें पायदान पर रखा गया है. वहीं पूर्व राष्ट्रपति को पांचवां नागरिक माना जाता है. देश का उप-प्रधानमंत्री भी 5th A नागरिक माना जाता है. देश का दूसरा नागरिक उप-राष्ट्रपति होता है, तो तीसरे नागरिक का सम्मान प्रधानमंत्री को मिलता है. चौथे नागरिक में राज्यों के राज्यपाल आते हैं. भारत का मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष दोनों ही 6वें नागरिक होते हैं.

कितनी होती है राष्ट्रपति की सैलरी?
देश का प्रथम नागरिक होने के नाते सरकार में सबसे ज्यादा सैलरी भी राष्ट्रपति की होती है. हालांकि राष्ट्रपति को भी इनकम टैक्स देना पड़ता है. यदि राष्ट्रपति अपनी सैलरी को दान करते हैं तो उस पर टैक्स नहीं पड़ता है. देश के आम आदमी को भी ये अधिकार मिला हुआ है. वर्तमान में राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति महीना है. इसके अलावा अन्य भत्ते भी दिए जाते हैं.

राष्ट्रपति की सैलरी में कितनी बार हुई बढ़ोत्तरी?
आजादी के बाद से आज तक राष्ट्रपति की सैलरी में महज 5 बार बढ़ोत्तरी की गई है. आजादी के बाद साल 1951 में राष्ट्रपति को 10 हजार रुपये प्रति महीना सैलरी और 15 हजार रुपया प्रति महीना भत्ता मिलता था. इस तरह से 1951 में राष्ट्रपति को 25 हजार रुपये प्रति माह मिलता था. 1985 में इसमें बढ़ोत्तरी हुई. सैलरी में 15 हजार रुपये और भत्ते में 30 हजार रुपये प्रति महीने का इजाफा हुआ. 1989 में सैलरी 20 हजार रुपये प्रति महीना और भत्ते 10 हजार रुपये प्रति महीना कर दिया गया. 1998 में राष्ट्रपति की सैलरी बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रति महीना कर दी गई, भत्ते अलग से थे. साल 2008 में राष्ट्रपति की सैलरी 1.5 लाख रुपये प्रति महीना और भत्ते अलग से कर दिया गया. अंतिम बढ़ोत्तरी 2017 में हुई थी. अब राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये प्रति महीना और भत्ते अलग से मिलते हैं.

