कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहे जाने से राजनीति में उबाल आ गया है. बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी नेता संसद से सड़क तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने पर अड़े हुए हैं. वहीं अधीर रंजन का कहना है कि वो बंगाली हैं, इसलिए उनकी हिंदी सही नहीं है. माफी मांगने से साफ इंकार करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि उनकी जुबान फिसल गई है. माफी नहीं मांगूगा, चाहे तो फांसी पर लटका दो?
इस खबर में ये है खास
- ABP न्यूज के रिपोर्टर का क्या कहना है?
- कहां से आया ‘पति’ शब्द और क्या है मतलब?
- ‘मां गायत्री’ को भी कहा गया है प्रजापति
- गहन चर्चा से निकला था ‘राष्ट्रपति’ शब्द
- अधीर रंजन को महिला आयोग ने किया तलब
ABP न्यूज के रिपोर्टर का क्या कहना है?
अधीर रंजन ने एबीपी न्यूज पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपत्नी शब्द का इस्तेमाल किया था. उनका कहना है कि वो उसी वक्त माफी मांग चुके थे और रिपोर्टर को खोजने का प्रयास किया, जिससे वो बाइट रोकी जा सके. वहीं एबीपी न्यूज के उस रिपोर्टर ने अधीर की इन सारी बातों का खंडन किया है. रिपोर्टर का कहना है कि अधीर ने एक नहीं बल्कि दो बार राष्ट्रपत्नी शब्द का इस्तेमाल किया था. उसने खुद उन्हें रोका था और सवाल को भी बदल दिया था. रिपोर्टर ने कहा कि वो काफी देर तक धरनास्थल पर ही कवरेज करता रहा था. उस वक्त किसी ने भी उससे बाइट को रोकने या उस शब्द पर खेद व्यक्त नहीं किया था.
कहां से आया ‘पति’ शब्द और क्या है मतलब?
अब सवाल ये है कि ‘पति’ शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई है और क्या इस शब्द में लिंगात्मक भेद है? ‘पति’ शब्द मूलतः संस्कृत का शब्द है और इसका मूल और यौगिक अर्थ है ‘जो रक्षा करे’. वरिष्ठ पत्रकार रुद्र प्रताप दुबे का कहना है कि पति का स्त्रीलिंग भी पति ही होता है. उन्होंने कहा कि जहां यज्ञ का संयोग हो वहीं पर पति का स्त्रीलिंग ‘पत्नि’ होगा, बाकी हर जगह ये ‘पति’ स्वरुप में ही उपयोग होगा. उन्होंने कहा कि व्याकरण में आप वामन शिवराम आप्टे की संस्कृत-हिंदी कोश में या Monier Williams की कोश में आपको पति का स्त्रीलिंग भी पति ही मिलेगा.
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‘मां गायत्री’ को भी कहा गया है प्रजापति
भागवत पुराण के ‘गायत्री सहस्त्रनाम’ में भी ‘मां गायत्री’ का एक नाम ‘प्रजापति’ के रूप में आया है. हिंदी भाषा के कई शब्द ऐसे हैं जैसे- ग्रामपति, सेनापति, सभापति, राष्ट्रपति ये सब शब्द पुल्लिंग और स्त्रीलिंग में एक जैसे उपयोग में आते हैं. प्रोफेसर संत समीर ने कहा कि कई शब्द समाज की व्यवस्था के हिसाब से बने हैं. ये पुरुषवादी सोच का मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में ऐसा हो गया है कि जो काम पुरुष संभालते रहे, वो काम पुल्लिंग की तरफ जाएंगे और जो काम स्त्री देखती आई हैं वो स्त्रीलिंग की तरफ जाएंगे. लोगों ने इन शब्दों में लिंगात्मक भेद देखना शुरू कर दिया है.
गहन चर्चा से निकला था ‘राष्ट्रपति’ शब्द
देश के सर्वोच्च पद यानी प्रेसिडेंट के लिए हिंदी में किस शब्द का इस्तेमाल हो, इस पर आजादी के तुरंत बाद ही मंथन शुरू हो गया था. जानकारी के मुताबिक जुलाई 1947 में इस बात पर बहस हुई थी कि प्रेसिडेंट आफ इंडिया के लिए हिंदी में क्या शब्द प्रयोग किया जाए? उस वक्त संविधान सभा के सदस्यों की ओर से सरदार, प्रधान, नेता और कर्णधार जैसे शब्दों पर खूब चर्चा हुई थी. लेकिन अंत में राष्ट्रपति शब्द पर ही सबकी सहमति बन गई और इस शब्द को ही मान्यता मिल गई.
