पटना (Patna): साल 2016 जगह राज्य बिहार, चुनाव (Bihar Election) का वक्त और एक बड़ा ऐलान. जिससे लोगों के जीवन में सुधार की आस, लेकिन हालत उसके बिलकुल उलट. जी हां हम बात कर रहे हैं. बिहार में हुए शराबबंदी (Liquor Ban) के बारे में. जो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सबसे बड़ा कदम माना जाता है. नीतीश कुमार के इसी फैसले की वजह से माना जाता है कि बिहार की महिला वोटर (Women Voters) उनके साथ होती हैं, लेकिन हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. जिस राज्य में शराबबंदी है उस राज्य में शराब से मौत की खबरें लगातार आए तो सरकार (Government) और सिस्टम की नाकामी पर सवाल जरूर उठता है. सवाल उठता है कि आखिर जो सीएम राज्य में पहले शराबबंदी करता है फिर उसे शराब पीने से लोगों को रोकने के लिए शपथ दिलाने की क्या जरूत पड़ती. तो चलिए बिहार में शराबबंदी किस तरह से काम कर रही इसके आंकड़ों आपसे सामने रखते हैं.
खबर में खास
- शराबबंदी पर शपथ
- विपक्ष का आरोप
- शराबबंदी का फैसला
- 2021 में जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा
शराबबंदी पर शपथ
22 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, शराबबंदी का निर्णय वर्ष 2016 का है. उसको लेकर जितना अभियान चला है, सबलोग जानते हैं. इसको लेकर अब तक नौ बार समीक्षा बैठक की गई है. शराब को लेकर शादी समारोह में पुलिस की छापेमारी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा था पुलिस को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ लोग शादी के कार्यक्रम में भी शराब पिलाने का इंतजाम करते हैं. इस संबंध में पुलिस को सूचना मिलने पर छापेमारी की जा रही है.
विपक्ष का आरोप
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस शराबबंदी के नाम पर बिना महिला पुलिसकर्मियों के दुल्हन के कमरों और कपड़ों की तलाशी ले रही है. यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया था. बिहार में शराब कैसे व क्यों पहुंच रही है, कौन पहुंचा रहा है? इसकी जांच और खोजबीन करने के बजाय सरकार महिलाओं को ही परेशान कर रही है.
शराबबंदी का फैसला
साल 2016 में बिहार की पिछली महागठबंधन सरकार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ सत्ता में रहे नीतीश के शराबबंदी का निर्णय लिया था. लालू ने इस अब कहा, जब प्रदेश में हाल के दिनों में जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने पर राज्य की पुलिस पर शराब की बिक्री और खपत पर लागू प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.
2021 में जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा
अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है, लेकिन यहां जहरीली शराब से मौत का सिलसिला जारी है. 2021 में अब तक 15 अलग-अलग घटनाओं में जहरीली शराब से करीब 93 लोग मर चुके हैं.
17 और 18 फरवरी 2021: मुजफ्फरपुर के कटरा इलाके में पांच की मौत.
26 फरवरी को मुजफ्फरपुर के मनियार स्थित विशनपुर गिद्दा में दो ग्रामीणों की मौत.
28 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरपुर के सरैया थाना क्षेत्र के रूपौली और विशहर पट्टी गांवों में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत.
होली के बाद नवादा के टाउन थाना क्षेत्र के गांवों में 16 से अधिक लोगों की मौत.
होली के बाद बेगूसराय के बखरी में दो, कोचा में चार, गोपालगंज के विजयपुर के मंझौलिया में तीन, मुफस्सिल के बरही बीघा में एक, रोहतास के करगहार में एक तथा कैमूर के टाउन थाना क्षेत्र में दो लोगों की मौत हो गई थी.
पश्चिमी चंपारण में 16 की मौत के साथ चर्चा में आई थी.
12 अक्टूबर को वैशाली के राजापाकड़ में एक की मौत.
24 अक्टूबर को सीवान के गुठनी में चार की मौत
बता दें कि राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने पांच अप्रैल 2016 में शराब के उत्पादन, व्यापार, भंडारण, परिवहन,विपणन और सेवन पर रोक लगा दी थी.
