दिल्ली में एमसीडी चुनावों को लेकर राजनीति चरम पर है. चुनावी मौसम में एक बार फिर से इमामों की सैलरी का मुद्दा उठ गया है. बीजेपी की ओर से इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है. इस बीच केंद्रीय सूचना आयुक्त ने भी इसे असंवैधानिक करार दे दिया है. केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने दिल्ली सरकार द्वारा इमामों को दिए जाने वाले वेतन के खिलाफ एक आरटीआई आवेदन पर आदेश पारित किया है.
इमामों को वेतन संविधान का उल्लंघन
केंद्रीय सूचना आयुक्त ने दिल्ली सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया. उदय माहुरकर ने कहा कि केवल मस्जिदों में इमामों और अन्य लोगों को वेतन देना न केवल हिंदू समुदाय और अन्य गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक धर्मों के सदस्यों के साथ विश्वासघात करना है बल्कि भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग के बीच पहले से ही दिखाई देने वाली इस्लामवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है.
इससे अंतर्धार्मिक सद्भाव को गंभीर खतरा
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को विशेष धार्मिक लाभ देने जैसे कदम, वास्तव में अंतर्धार्मिक सद्भाव को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. आयोग का कहना है कि यह गलत मिसाल स्थापित करने के साथ ही अनावश्यक राजनीतिक विवाद और सामाजिक वैमनस्य की वजह बन गया है. उन्होंने कहा कि संविधान में कहा गया है कि करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किसी धर्म विशेष के लिए नहीं किया जा सकता.
संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन
बता दें कि ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में वक्फ बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह उसके द्वारा संचालित मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक प्रदान करे. केंद्रीय सूचना आयुक्त ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया है. आयोग का कहना है कि शीर्ष अदालत ने इमामों को वेतन का आदेश देकर संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 27 में साफ कहा गया है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग किसी विशेष धर्म के पक्ष में नहीं किया जाएगा.
RTI कार्यकर्ता को मुआवजा देने का आदेश
केंद्रीय सूचना आयुक्त माहुरकर ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह भी निर्देश दिया कि वह आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल को 25 हजार रुपये मुआवजा भी दे, क्योंकि उसे उनके आवेदन का संतोषजनक जवाब पाने में काफी वक्त व संसाधन लगाने पड़े. माहुरकर ने निर्देश दिया है कि उनके आदेश की एक प्रति उपयुक्त कार्रवाई के साथ केंद्रीय कानून मंत्री को भेजी जाए ताकि सभी धर्मों के पुजारियों, इमामों के मासिक वेतन मामले में संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक के प्रावधानों को समान ढंग से लागू किया जा सके.
बीजेपी ने किया आदेश का स्वागत
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने केंद्रीय सूचना आयुक्त के फैसले का स्वागत किया है. बीजेपी नेता ने अपने ट्वीट में कहा कि केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने दिल्ली सरकार द्वारा इमामों को वेतन के खिलाफ एक आरटीआई अपील पर एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया है, जो मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति की जड़ पर प्रहार करता है. यह 1993 के एससी आदेश को कहता है जिसने इमामों को वेतन पर बाढ़ के द्वार को संविधान के अनुच्छेद 27 के उल्लंघन के रूप में खोला.
