दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबागिक से दुष्कर्म करने वाले पर बड़ी सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग से दुष्कर्म करने के बाद उससे शादी कर लेने पर आरोपी के अपराध का पाप धुल नहीं जाता है. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी एक 14 साल की लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की. आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करके दावा किया कि उसने बाद में एक मंदिर में पीड़िता से शादी कर ली थी.
इस खबर में ये है खास
- अदालत ने नहीं दी आरोपी को जमानत
- शादी करने से पाप धुल नहीं जाता- HC
- 'नाबालिग की सहमति का कोई मतलब नहीं'
- 2019 को लापता हुई थी पीड़िता
अदालत ने नहीं दी आरोपी को जमानत
वहीं हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदिरत्ता ने कहा कि एक नाबालिग को बहलाने तथा उससे शारीरिक संबंध बनाने की ऐसी घटनाओं को नियमित मामले के तौर पर नहीं देखा जा सकता. न्यायमूर्ति मेंदिरत्ता ने कहा कि बलात्कार संबंधी कानून के तहत नाबालिग की सहमति मायने नहीं रखती है और नाबालिग लड़की के कथित अपहरणकर्ता से प्रेम करने को भी भारतीय दंड संहिता के तहत वैध बचाव के तौर पर नहीं माना जा सकता है.
शादी करने से पाप धुल नहीं जाता- HC
हाईकोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पूरे समाज के खिलाफ एक अपराध है और इससे नाबालिग बच्ची के पास आरोपी की बात मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने एक मंदिर में पीड़िता के साथ शादी कर ली, लेकिन इससे अपराध का पाप धुल नहीं जाता क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी और घटना के वक्त उसकी उम्र 15 साल थी. अदालत ने कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना भी दुष्कर्म है, चाहे उसकी सहमति हो या न हो तथा नाबालिग का यौन शोषण एक जघन्य अपराध है, जिससे सख्ती से निपटे जाने की आवश्यकता है.
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‘नाबालिग की सहमति का कोई मतलब नहीं’
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि ऐसे यौन शोषण के कारण पीड़िता और आरोपी ने कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए शादी कर ली या बच्चे का जन्म हो गया, तो महज इससे किसी भी तरीके से याचिकाकर्ता का अपराध कम नहीं हो जाता, क्योंकि नाबालिग की सहमति का कानून में कोई मायने नहीं है. अभियोजन ने याचिकाकर्ता की जमानत याचिका का विरोध किया और अदालत को बताया कि कथित घटना के वक्त वह करीब 27 साल का था. उसने यह भी कहा कि नाबालिग पीड़िता की सहमति का कानून में कोई मतलब नहीं है.
2019 को लापता हुई थी पीड़िता
बता दें कि सितंबर 2019 को पीड़िता लापता हो गई थी. परिजनों ने इसकी पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी. वहीं नाबालिग लड़की अक्टूबर 2021 में आरोपी के घर से ही बरामद हुई. उस वक्त आरोपी से उसकी गोद में 8 महीने की एक बेटी थी. इसके अलावा भी वो गर्भवती थी.
