नई दिल्ली. महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुवाहाटी में बैठे बागी एकनाथ शिंदे ने 42 विधायकों के साथ फोटो जारी करके उद्धव ठाकरे की मुसीबत और बढ़ा दी है. लगातार जारी घमासान के बीच एनसीपी नेता अजित पवार ने प्रेस कांफ्रेंस की है. उन्होंने कहा कि वह आखिरी तक उद्धव ठाकरे का साथ देंगे. अजित पवार ने कहा कि एनसीपी ने सरकार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा सीएम उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में शिवसेना के बड़े नेताओं की बैठक बुलाई है.
इस खबर में ये है खास-
- 42 विधायकों के साथ शिंदे ने दिखाई ताकत
- उद्धव से बागियों ने पूछे तीखे सवाल
- ‘हमपर भरोसा क्यो नहीं हुआ?‘
- ‘हिंदुत्व पर खामोश क्यों रहते थे उद्धव?’
42 विधायकों के साथ शिंदे ने दिखाई ताकत
हालांकि अजित पवार ने बागी विधायकों पर बोलने से इंकार कर दिया है. इससे पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं, अगर सभी विधायक कह दें, तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार से अलग होने के लिए तैयार हैं. सूत्रों के अनुसार संजय के इस बयान से एनसीपी नाराज हैं, फिर भी वह उद्धव का आखिरी समय तक साथ देने की बात कही है. गुरुवार को बागी एकनाथ शिंदे ने 42 विधायकों के साथ तस्वीरें जारी करके अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी.
उद्धव से बागियों ने पूछे तीखे सवाल
आज शिंदे खेमे के विधायकों ने 3 पेज की चिट्ठी लिखकर उद्धव से कई तीखे सवाल किए हैं. शिवसेना के बागी विधायकों ने सीएम उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर उनसे कई तीखे सवाल किए. बागी विधायकों ने उद्धव से पूछा कि जब आदित्य ठाकरे अयोध्या जा रहे थे, तो हमें क्यों रोका गया. चिट्ठी में लिखा गया कि कई लोग तो चेकइन तक कर चुके थे, लेकिन इसके बाद भी उन्हें क्यों जाने नहीं दिया गया. इसके अलावा पूछा गया कि हमारे लिए ‘मातोश्री’ और ‘वर्षा’ के दरवाजे क्यों बंद रहते थे, जबकि एनसीपी और कांग्रेस वाले कभी भी मुलाकात कर सकते थे.
‘हमपर भरोसा क्यो नहीं हुआ?‘
चिट्ठी में उद्धव से पूछा गया कि राज्यसभा में शिवसेना के एक भी विधायक ने क्रॉस वोटिंग नहीं की थी. इसके बाद भी एमएलसी चुनाव पर हमारे उपर भरोसा क्यों नहीं किया गया? क्यों हमें शक की नजर से देखा जाता रहा? क्यों हमें अयोध्या जाने से रोक दिया गया? चिट्ठी में सवाल किया गया, ‘मातोश्री’ और ‘वर्षा’ के दरवाजे हमारे लिए क्यों बंद कर दिए गए थे? बागी विधायकों ने उद्धव पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिवसेना तो हिंदुत्व को मानने वाली पार्टी है, फिर क्यों हिंदुत्व का अपमान सहन करती थी?
‘हिंदुत्व पर खामोश क्यों रहते थे उद्धव?’
गठबंधन में शिवसेना हिंदुत्व का पक्ष क्यों नहीं रख पाती थी? उन्होंने कहा कि एनसीपी-कांग्रेस के लोग आपसे बराबर मिलते थे, निधि मंजूर कराकर विकास कार्य करते थे. आपके साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया में डालते थे. लेकिन जब हम लोग आते थे तो दरवाजे पर ही रोक दिया जाता था. हमारे क्षेत्र से लोग हमसे सवाल करते थे कि हम काम नहीं करवा पा रहे हैं.
