नई दिल्ली. महाराष्ट्र में कई दिनों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बाद उद्धव ठाकरे राज का अंत हो गया है. बुधवार को फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उद्धव के इस्तीफे के बाद बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल है. उद्धव के घर पर मिठाई बांटी जा रही है. ठीक ढाई साल पहले देवेंद्र फडणवीस ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन कहा था, मेरा पानी उतरते देख वहां घर न बसा लेना, मैं समंदर हू फिर लौटकर आऊंगा. आज देवेंद्र फडणवीस की बात सही हो गई. उद्धव ठाकरे सीएम के तौर पर 5 साल का कार्यकाल नहीं पूरा कर सके.
इस खबर में ये है ख
- फडणवीस के बेहद करीबी रहे एकनाथ शिंदे
- काफी समय से शिवसेना में अपनी पैठ बनाते रहे शिंदे
- पर्दे के पीछे शिदे को फडणवीस दे रहे थे ताकत
- मौका पाते ही शिंदे ने उद्धव से कर दिया बगावत
फडणवीस के बेहद करीबी रहे एकनाथ शिंदे
उद्धव सरकार पर संकट के बादल कोई आज 10 दिन पहले नहीं मडराने शुरू हुए थे. इसकी पटकथा काफी समय पहले ही लिखी जानी शुरू हो गई थी. उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे एक समय देवेंद्र फडणवीस के बेहद करीबी माने जाते थे. कहा जाता है कि शिंदे को उद्धव के खिलाफ ताकतवर बनाने का काम देवेंद्र फडणवीस पर्दे के पीछे से कर रहे थे.
काफी समय से शिवसेना में अपनी पैठ बनाते रहे शिंदे
कोरोना काल में जब महाराष्ट्र पूरी तरह से बर्बाद की कगार पर था. उस वक्त सीएम उद्धव ठाकरे ने कोई खास मीटिंग नहीं किया है. यहां तक कि उद्धव पर आरोप लगते रहे कि उनके पास शिवसेना के विधायकों से मिलना का समय ही नहीं रहता है. यहां तक उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे से ठाकरे की ज्यादा मुलाकात नहीं हो पाती. इसी कारण शिवसेना के विधायकों के दर्द औऱ समस्याओं को समझने में एकनाथ शिंदे आगे खड़े रहते.
पर्दे के पीछे शिदें को फडणवीस दे रहे थे ताकत
इधर एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के विधायकों का भरोसा जीतने की कवायद में लगे रहे. उधर देवेंद्र फडणवीस एकनाथ शिंदे को पीछे से ताकत देते रहे. जब शिंदे को मौका मिला और विधायकों को अपने पाले में लाने में सफल रहे, उद्धव से बगावत कर दिया. शिंदे खेमे की बगावत राज्यसभा से चुनाव से शुरू हो गई. कहा गया कि महाराष्ट्र में जमकर क्रास वोटिंग हुई. इसके बाद राज्य में विधान परिषद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के 10 सीट पर हुये चुनाव में भाजपा को पांच सीट जबकि शिवसेना और राकांपा को दो-दो तथा कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी.
मौका पाते ही शिंदे ने उद्धव से कर दिया बगावत
विधान परिषद के चुनाव के बाद बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सूरत निकल लिए, उसके बाद गुवाहाटी के होटल में बैठकर उद्धव सरकार को गिराने की बीजेपी के साथ रणनीति बनाते रहे. एक-एक करके शिवसेना के विधायक टूटते रहे और शिवसेना के 40 विधायकों एकनाथ शिंदे ने अपने पाले में कर लिया. एकनाथ शिंदे की रणनीति और बीजेपी की चाल के आगे उद्धव ठाकरे तास के पत्ते की तरह ढेर हो गए और आज उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
