महाराष्ट्र में पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध का पटाक्षेप हो गया है. एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है. एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर बीजेपी ने सभी राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है. एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी और उसके आला नेताओं को धन्यवाद भी दिया है. एकनाथ शिंदे पहले ऑटो वाले थे. शिवसेना की ओर से बार बार यह कहा जा रहा था कि उसने सड़क से उठाकर एक ऑटो वाले को मंत्री बना दिया. ऐसा कहकर शिवसेना राजनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन बीजेपी ने शिवसेना से भी आगे जाकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया. अब शिवसेना के पास इस बारे में कहने को कुछ भी नहीं बचा. बीजेपी ने ऐसा कर यह जता दिया है कि वह बाकी राजनीतिक दलों से कितना आगे की सोच रखती है.
खबर में खास
- बीजेपी का गेमप्लान बूझो तो जानें, उद्धव-ठाकरे को जवाब
- बीजेपी को इस त्याग से नुकसान से ज्यादा फायदा
- बीजेपी ने लंबी छलांग से पहले दो कदम पीछे खींचे
बीजेपी का गेमप्लान बूझो तो जानें, उद्धव-ठाकरे को जवाब
बीजेपी का गेम प्लान समझने वालों की मानें तो उसने उद्धव ठाकरे और शरद पवार से 2019 में मिली चोट का जवाब चोट से देने के लिए इतना बड़ा त्याग किया है. दरअसल 2019 में बीजेपी को उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों से धोखा मिला था. अब सत्तापलट करके बीजेपी ने यह हिसाब बराबर कर लिया है. सत्ता पलट के इस खेल में उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों ने बीजेपी पर सत्ता का लालची होने का आरोप लगाया था, लेकिन सीएम पद का त्याग कर बीजेपी ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे के आरोपों का भी जवाब दे दिया है.
बीजेपी को इस त्याग से नुकसान से ज्यादा फायदा
बीजेपी जानती है कि इसका फायदा उसे आगे आने वाले चुनावों में मिलेगा. दरअसल शिवसेना लगातार बीजेपी पर आरोप लगा रही थी कि यह मराठाओं के खिलाफ बीजेपी की साजिश है. देवेंद्र फडणवीस मराठा नहीं हैं और बीजेपी यह बखूबी जानती है कि हिंदुत्व के मोर्चे पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे को मात दी जा सकती है लेकिन जब भी मराठा अस्मिता की बात आती है तो यह जोड़ी बीजेपी पर हमेशा भारी पड़ती है. इस बीजेपी के मुख्यमंत्री पद से त्याग से यह संदेश जाएगा कि बीजेपी ने शिवसेना को नहीं तोड़ा बल्कि शिवसेना में जो बगावत हुई थी, वो हिंदुत्व के नाम पर हुई थी. और हिंदुत्व की सबसे बड़ी लंबरदार पार्टी बीजेपी ही है.
बीजेपी ने लंबी छलांग से पहले दो कदम पीछे खींचे
राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि बीजेपी ने लंबी छलांग लेने के लिए कुछ कदम पीछे लिए हैं. बालासाहेब ठाकरे ने जिंदगी भर हिंदू हित की बात की. वे कांग्रेस के साथ समझौता करने से पहले पार्टी को खत्म करने की बात करते थे. वहीं उनके ही बेटे उद्धव उनके रास्ते से भटक गए और सत्ता के लिए कांग्रेस-एनसीपी से समझौता कर गए. बीजेपी ने साफ संदेश दिया है कि असल में वे बालासाहब की विचारधारा को ही आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने एक शिवसैनिक के लिए कुर्सी छोड़ दी. महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी के लिए यह एक ट्रंपकार्ड माना जा रहा है.
