नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से कच्चे तेल के दाम आसमान छूते जा रहे हैं. इस समय कच्चे तेल का दाम 130 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. साल 2008 के बाद कच्चे तेल का दाम सबसे ऊपर जा पहुंचा है. लगातार कच्चे तेल के दामों में वृद्धि से आम लोगों के लिए मुसीबत आने वाली है. यूक्रेन पर हमले से रूसी पर पश्चिमी देश लगातार प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं. इस बीच रूस ने चेतावनी दी कि अगर रूस और यूरोप के देशों ने प्रतिबंध लगाया तो कच्चे तेल के दाम 300 डॉलर के आंकड़े को छू सकते हैं.
इस खबर में ये है खास-
- 300 डॉलर का आंकड़ा छू सकता कच्चा तेल
- विनाशकारी होंगे परिणाम
- रूस 35-40 फीसदी यूरोप को सप्लाई करता है तेल
300 डॉलर का आंकड़ा छू सकता कच्चा तेल
यूक्रेन पर हमले की वजह से अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को कहा था कि अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी रूस पर ऑयल इंपोर्ट बैन लगाने पर विचार कर रहे हैं. इसके बाद रूस की तरफ से चेतावनी दी गई कि अगर अमेरिका यूरोप ने रूस के कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाया तो कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 300 डॉलर के स्तर को छू सकता है.
विनाशकारी होंगे परिणाम
रूस के उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा तो बहुत ही विनाशकारी परिणाम होंगे. कच्चे तेल के दामों में भारी वृद्धि होगी. 300 डॉलर प्रति बैरल या उससे ज्यादा की भी बढ़ोतरी हो सकती है. नोवाक ने सरकारी टीवी पर कहा कि यूरोप रूस से जितना तेल लेता है, उसकी भरपाई करने में उसे एक साल से ज्यादा का वक्त लग जाएगा और इसके लिए उसे बहुत ज्यादा कीमत भी चुकानी होगी.
रूस 35-40 फीसदी यूरोप को सप्लाई करता है तेल
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर पश्चिमी देश रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाते हैं तो इसका मतलब होगा कि उनके लिए कच्चा तेल 300 डॉलर तक पहुंच जाएगा, वहीं, रूस और जर्मनी के बीच चलने वाली गैस पाइपलाइन भी बंद हो जाएगी. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 से 40 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है.
