G-20 Summit: अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव के साथ ही आज US प्रेसिडेंट जो बाइडेन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने जा रहे है. दोनों वर्ल्ड लीडर्स की मुलाकात इंडोनेशिया के बाली शहर में होने जा रही है. इस शहर में ही जी-20 समिट का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शिरकत करने के लिए कई वैश्विक नेता जुट रहे है.
रूस-यूक्रेन जंग और चीन-ताइवान टेंशन समेत कई घटनाक्रमों के चलते वैश्विक राजनीति तेजी से बदल रही है. इस बीच विश्व की 2 तिहाई (75 फीसदी) आबादी का नेतृत्व करने वाले जी-20 समूह की बेहद अहम बैठक 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में होने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, US प्रेसिडेंट जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई वर्ल्ड लीडर इस कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं. समिट से पहले कई देश द्विपक्षीय (Bilateral) मीटिंग भी करने जा रहे हैं.
खबर में खास
- चीन के बढ़ते कद ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता
- चीन-US के बीच है पॉवर की तनातनी ?
- ग्रुप में कौन से देश शामिल?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US Presidet Joe biden) ने इस समिट से ठीक एक दिन पहले सोमवार (14 नवंबर) को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने का प्रोग्राम तय किया है. एक तरफ जहां दुनिया के 2 बड़े देशों के राष्ट्र अध्यक्ष मुलाकात करने वाले हैं. तो वहीं इससे पहले जो बाइडेन ने अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर बेहद अहम बात कही है. व्हाइट हाउस (White House) ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि जो बाइडेन दोबारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत शुरू करना चाहते हैं.
ये पहली बार नहीं है, जब जो बाइडेन ने शी जिनपिंग से बातचीत करने की पेशकश की है. ऐसा पहले करीब 5 बार हो चुका है. हाल ही में 28 जुलाई को बाइडेन और जिनपिंग के बीच वर्चुअल (ऑनलाइन) मीटिंग हुई थी. इस बैठक में भी बाइडेन ने चीन के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई थी.
चीन के बढ़ते कद ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता
दरअसल, वैश्विक राजनीति में तेजी से बढ़ते चीन के कद को लेकर अमेरिका काफी समय से चिंतित है. चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए अमेरिका बीच-बीच में ताइवान के लिए भी अपना समर्थन जाहिर करता रहता है. ये एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर बात शुरू होते ही चीन बुरी तरह बौखला जाता है. इसके अलावा रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने के बाद चीन कई मोर्चों पर रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आया है.
चीन-US के बीच है पॉवर की तनातनी ?
अमेरिका नहीं चाहता कि कोई भी देश रूस के साथ अपना व्यापार जारी रखे. लेकिन भारत के साथ-साथ चीन भी इस बात पर अमेरिका से सहमत नहीं है. इन दो मुद्दों के अलावा हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र के ‘दक्षिण चीन सागर’ में दबदबे को लेकर भी दोनों देशों में टेंशन बनी हुई है. चीन इस इलाके पर एकाधिकार चाहता है. जबकि अमेरिका, भारत समेत ज्यादातर देश इस क्षेत्र में मुक्त व्यापार के पक्षधर हैं. जिनपिंग की इन राष्ट्राध्यक्षों से भी मुलाकात जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात के इतर जिनपिंग फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज सहित कई अन्य वैश्विक नेताओं के साथ बाइलेटरल (द्विपक्षीय) वार्ता करेंगे. इस ग्रुप की कितनी अहमियत? G-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है. भारत वर्तमान में जी-20 ट्रोइका (जी-20 की वर्तमान, पिछली और आगामी अध्यक्षता) का हिस्सा है, जिसमें इंडोनेशिया, इटली और भारत शामिल हैं.
ग्रुप में कौन से देश शामिल?
ग्रुप में कौन से देश शामिल? जी-20 या 20 देशों का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है. इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं.
